फ़िल्म में मध्यांतर से पहले का हिस्सा अपनी ज़मीन तलाश नहीं कर पाता, मैं यहां माजिद ढूंढ रहा था पर मुझे यहां बॉलीवुड मिला, साथ ही दिखा ‘स्लम डॉग मिलिनेयर’ का हैंगोवर, कहीं कहीं मुझे ये भी लगा कि माजिद मुंबई की गलियों में ईरान तलाश कर रहे हैं. फ़िल्म का ये भाग ना तो आपके दिल को छूता है और ना ही इसमें माजिद की छाप नज़र आती है, हां, फ़िल्म के कुछ दृश्यों में सिनेमेटोग्राफ़ी के ज़रिए उनका स्टाइल नज़र आता है जहां मुंबई की आसमान छूती इमारतें और झोपड़पट्टी एक ही फ़्रेम में नज़र आती हैं और मुंबई की दोहरी ज़िंदगी का हाल बयान करती हैं. फ़िल्म के इस हिस्से में कहानी भी धीमी गति से आगे बढ़ती है.
ये फ़िल्म इंटर्वल के बाद आपके दिलों को छूती है और हर किरदार के दिलों में उठाता तूफ़ान आपको अपनी गिरफ़्त में ले लेता है और आप इसमें डूबते चले जाते हो. यहां लगता है कि ये माजिद का सिनेमा है. अभिनय की बात करें तो जी वी शारदा का कमाल का अभिनय साथ ही मालविका मोहनन का दमदार अभिनय, ईशान खट्टर की अच्छी कोशिश, तनिष्ठा का किरदार छोटा है पर अपनी मौजूदगी दर्ज करता है. साथ ही माजिद ने फ़िल्म में बच्चों से भी बेहतरीन काम निकलवाया है. फ़िल्म में बहुत जगह बैकग्राउंड की जगह ऐम्बीआन्स का इस्तेमाल है जो कि असरदार है. अनिल मेहरा की सिनेमेटोग्राफ़ी क़ाबिल ए तारीफ़ है. इस फ़िल्म को मेरी और से 3 स्टार्स.VIDEO: ईशान खट्टर की डेब्यू फ़िल्म 'बियॉन्ड द क्लाउड्स' हुई रिलीज़
इस फ़िल्म से डेब्यू कर रहे हैं शाहिद के भाई ईशान खट्टर, साथ ही हिंदी सिनेमा में डेब्यू कर रही हैं मालविका मोहनन और इनके साथ हैं गौतम घोष, जी वी शारदा और तनिष्ठा चैटर्जी. फ़िल्म मैं संगीत दिया है ए आर रहमान ने, फ़िल्म के डायलॉग्स लिखे हैं विशाल भारद्वाज ने और इसका स्क्रीनप्ले लिखा है महरान कशानि ने और फ़िल्म की कहानी और निर्देशन है माजिद मजीदी का.