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हिन्दी सिनेमा को क्षेत्रीय फिल्मों से प्रेरणा लेने की जरूरत : शेखर कपूर

उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्मों को अपनी क्वालिटी में इंप्रूव करना चाहिए.

  | May 01, 2018 14:23 IST (नई दिल्ली)
राष्ट्रीय राजधानी में आज 65 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का ऐलान करते समय फीचर फिल्मों के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष शेखर कपूर क्षेत्रीय सिनेमा से काफी प्रभावित दिखे और उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्मों को अपनी क्वालिटी में इंप्रूव करना चाहिए. उनसे पूछा गया कि क्या मुख्यधारा की फिल्मों और क्षेत्रीय सिनेमा में कोई अंतर रह गया तो कपूर ने कहा , 'मेरे ख्याल से हिन्दी सिनेमा को क्षेत्रीय फिल्मों से प्रेरणा लेने की जरूरत है.' निर्देशक ने विजेताओं के नामों का ऐलान करते हुए कहा कि कुछ क्षेत्रीय फिल्मों की गुणवत्ता अद्भुत है और हिन्दी फिल्म उनसे मुकाबला नहीं कर सकते. ये शर्त पूरी होने पर ही बॉलीवुड में कदम रखेंगी शेखर कपूर की बेटी...
फिल्मकार शेखर कपूर को उनकी यथार्थपरक फिल्मों के लिए जाना जाता है. वह ऐसे निर्देशकों में शुमार हैं, जिन्होंने न सिर्फ बॉलीवुड में, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी खास पहचान बनाई है. शेखर कपूर को 'एलिजाबेथ : द गोल्डन ऐज', 'बैंडिट क्वीन', 'मिस्टर इंडिया', 'द फोर फीदर्स', 'मासूम', 'टूटे खिलौने', 'इश्क-इश्क' और 'बिंदिया चमकेगी' जैसी हिट फिल्मों के लिए जाना जाता है. शेखर मनोरंजन-जगत के मशहूर अभिनेता देवानंद के भांजे हैं.आप जानते हैं फिल्मों में आने से पहले क्या करते थे यह निर्देशक? बेटी हैं उभरती सिंगरफिल्म-जगत में कदम रखने से पहले वह लंदन में चार्टर्ड अकाउंटेंट भी रह चुके हैं. शेखर कपूर की पहली शादी मेधा जलोटा से हुई थी, लेकिन किन्हीं कारणों से दोनों के बीच अलगाव हो गया. मेधा की मौत न्यू जर्सी में हुई थी. उनकी दूसरी शादी सुचित्रा कृष्णमूर्ति के साथ हुई. उनकी एक बेटी भी है, जिसका नाम कावेरी कपूर है.(इनपुट भाषा से भी)  ...और भी हैं बॉलीवुड से जुड़ी ढेरों ख़बरें...