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महादेवी वर्मा ने 8वीं क्लास में यूपी में किया था टॉप, जानें ये 10 खास बातें

महादेवी वर्मा (Mahadevi Varma) हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों (जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और सुमित्रानंदन पंत) में से एक हैं.

  | May 01, 2018 14:18 IST (नई दिल्ली)
Mahadevi Varma Google Doodle

Mahadevi Varma : गूगल ने बनाया महादेवी वर्मा का डूडल, किया महान कवयित्री को याद

Highlights

  • महादेवी वर्मा का बना गूगल डूडल
  • हिंदी की मशहूर कवयित्री हैं महादेवी
  • कम उम्र में बनी थी कवयित्री
गूगल ने आज का अपना डूडल हिंदी साहित्य लोकप्रिय कवयित्री महादेवी वर्मा को समर्पित किया है. गूगल ने Celebrating Mahadevi Varma शीर्षक से डूडल बनाया है. महादेवी वर्मा (Mahadevi Varma) हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों (जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और सुमित्रानंदन पंत) में से एक हैं. महादेवी वर्मा को आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है. उनकी कविता में करूणा कूट-कूट कर भरी रही और उनके गद्य में भी इसकी झलक मिलती है. महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ.
महादेवी वर्मा को 'आधुनिक मीरा' के नाम से भी जाना जाता है. उनकी कविता में करूणा कूट-कूट कर भरी रही और उनके गद्य में भी इसकी झलक मिलती है. उनके पिता भागलपुर के कॉलेज में प्राध्यापक थे. महादेवी वर्मा कम उम्र में ही हिंदी में कविताओं की रचना करने के लिए काफी मशहूर हुई थीं. सात साल की उम्र से ही महादेवी वर्मा ने कवयित्री बनने की राह पर चल पड़ी थीं. 
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कवयित्री महादेवी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में मिशन स्कूल से शुरू हुई. उन्होंने संस्कृत, अंग्रेजी, संगीत और चित्रकला की शिक्षा घर पर ही टीचर्स द्वारा मिली. उनका विवाह होने के कारण पढ़ाई में बाधा आई और फिर उन्होंने 1919 में इलाहाबाद के क्रास्थवेट कॉलेज में पढ़ाई शुरु की और कॉलेज के हॉस्टल में रहने लगीं. साल 1921 में महादेवी ने 8वीं क्लास में पूरे प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया. सात वर्ष की आयु से ही महादेवी कविता लिखने लगी थीं और 1925 तक उन्होंने मैट्रिक पूरा करने के साथ ही एक सफल कवयित्री के रूप में मशहूर हो गई थीं. 
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अलग-अलग पत्र-पत्रिकाओं में महादेवी की कविताएं का प्रकाशित होने लगी और कालेज में सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ उनकी दोस्ती हो गई. साल 1932 में महादेवी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत विषय से एम.ए. कर रही थीं, इसी दौरान उनके दो कविता संग्रह 'नीहार' (1930) और 'रश्मि' (1932) प्रकाशित हो चुके थे. उन्होंने इसके अलावा 1934 में 'नीरजा' और 1936 में 'सांध्यगीत' नाम से दो अन्य कविता संग्रह भी प्रकाशित हुई. 
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महादेवी की 18 काव्य और गद्य कृतियां, जिनमें 'स्मृति की रेखाएं', 'मेरा परिवार', 'शृंखला की कड़ियां', 'पथ के साथी' और 'अतीत' के चलचित्र काफी प्रमुख हैं. महादेवी ने साल 1955 में इलाहाबाद शहर में साहित्यकार संसद की स्थापना की. इसके बाद उन्होंने पंडित इलाचंद्र जोशी के सहयोग से साहित्यकार का संपादन भी संभालना शुरू किया. महादेवी ने अपने जीवन का ज्यादातर समय यूपी के इलाहाबाद शहर में बिताया. 11 सितंबर 1987 को इसी शहर इलाहाबाद में उनका देहांत हो गया. लेकिन वह हमेशा के लिए हिंदी जगत के लिए अमर हो गईं.
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