महावीर फोगाट तब भी अपनी बेटी बबिता का राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने तक के अभियान का साक्षी नहीं बन पाये क्योंकि वह मुकाबला स्थल तक पहुंचने का टिकट हासिल नहीं कर पाये. इस दिग्गज कोच, जिनकी जीवनी पर फिल्म ‘दंगल’ बनी है, यहां मौजूदा चैंपियन बबिता (53 किग्रा) का मुकाबला देखने के लिये आये थे. महावीर फोगाट आखिर में तब अंदर पहुंच पाये जब आस्ट्रेलियाई कुश्ती टीम बबिता की मदद के लिये आगे आयी और उन्होंने उसे दो टिकट दिये.
इस पूरे घटनाक्रम से दुखी बबिता ने कहा, ‘‘मेरे पिताजी पहली बार मेरा मुकाबला देखने के लिये आये थे लेकिन मुझे दुख है कि सुबह से यहां होने के बावजूद वह टिकट हासिल नहीं कर पाये. एक खिलाड़ी दो टिकट का हकदार होता है लेकिन हमें वे भी नहीं दिये गये. मैंने अपनी तरफ से बहुत कोशिश की लेकिन उन्हें बाहर बैठना पड़ा. वह यहां तक कि टीवी पर भी मुकाबला नहीं देख पाये.’’