कैसे हुई भारत में पारंपरिक डिजाइन 'बांधनी' की शुरुआत 

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भारत दुनियाभर में अपने प्रमुख और विविध वस्त्रों के लिए जाना जाता है, जो ब्लॉक प्रिंटिंग से लेकर विशेष रूप से फैब्रिक डाइंग तक हैं.

बांधनी शब्द 'बंधन' से लिया गया है, जिसका अर्थ है बांधना. इसकी शुरुआत गुजरात में खत्रियों द्वारा की गई थी.

बांधनी की शुरुआत 

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बांधनी को बनाने के लिए कपड़े पर छोटे छोटे गोले बनाकर अलग डिजाइन में बांध दिया जाता है और फिर अलग अलग रंगों में रंगा जाता है.

बांधनी की प्रक्रिया 

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बंधेज दुपट्टे और साड़ी 

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बांधनी डिजाइन या 'बंधेज' दुपट्टे और साड़ी आमतौर पर सूती, शिफॉन, जॉर्जेट जैसे कपड़ों पर की जाती है.

बांधनी का इतिहास 

इस तकनीक की शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता में की गई थी और इसका वर्णन हर्षचरित में भी किया गया है.


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बांधनी की तकनीक 

इसके डिजाइन को बनाने में एक महीने से एक साल तक का टाइम लगता है. लोग ज्यादा हो तो कम समय में भी इसे पूरा किया जा सकता है.

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मौजूदा वक्त में कई डिजाइनर्स और ब्रांड भी बांधनी प्रिंट की डिजाइनर साड़ी और दुपट्टे को डिजाइन कर रहे हैं.

डिजाइनर्स की पसंद बांधनी 

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इन दिनों दुल्हन भी इस बांधनी प्रिंट को ट्राई करना बेहद पसंद करती हैं. इसका डिजाइन आपकी लुक को और भी आकर्षक बनाता है.

दुल्हनों की पसंद है बांधनी 

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